Wednesday, August 29, 2012

ANANDAM KAVYA GOSHTI ON 22ND AUG 2012


आनंदम ने रखा पांचवे वर्ष में पहला कदम                               रिपोर्ट :  तरुण रावतानी जगदीश रावतानी की संस्था "आनंदम" ने अपने पांचवे वर्ष में कदम रखते हुए२२ अगस्त २०१२ को मासिक काव्य गोष्टी का आयोजन दरियागंज के एक सभागार में किया जिनमे जाने माने कवियों/शायरों ने शिरकत की और अपनी ग़ज़लों और कविताओं से गोष्टी को एक यादगार शाम बना दिया. इस मौके पर जगदीश जी ने एक कत्ता पढ़कर सभी मौजूद कवियों से अनुरोध किया के वे आसाम के निवासियों को यह सन्देश दें की हम सब इस संकट की घडी उनके साथ हैं . सभी हिन्दू , मुस्लिम, सिख, इसाई  कवियों  ने हाथ खड़े करके इस सन्देश को आसाम के भाई बहनों तक पहुचाने की गुजारिश की . शिरकत करने वाले शायरों के नाम हैं : सर्वश्री सैफ सहरी , भूपेन्द्र कुमार, जगदीश रावतानी, नीता अरोरा , मजाज़ अमरोही , शुकदेव,  मंजुला दास , विरेंदर कमर , शोभना मित्तल , दर्द देहलवी, राणा प्रताप गन्नौरी  , आदेश त्यागी , इरफ़ान तालिब, अजय अक्स , नागेश, सदारत की श्री ज़र्फ़ देहलवी जी ने और संचालन किया जगदीश रावतानी ने ईद और स्वतंत्र दिवस को समर्पित इस शाम में कवियों ने अपने जज़्बात और मोहब्त को बेहद  ख़ूबसूरत अंदाज़ में प्रस्तुत किया . चन्द ग़ज़लों /कविताओं की कुछ पंक्तियाँ पाठकों के लिए प्रस्तुत हैं . जगदीश रावतानी:  इश्क कर बन्दों से तेरा फायदा हो जाएगा , नफरतों का बीज जग से ला पता हो जाएगा , क्यों हवा देता है अफवाहों की चिंगारी को यू, आग भड़केगी तो फिर सब कुछ फना हो जाएगा 1 अजय अक्स : कभी ईमान मरता है कभी किरदार मरता है , ये सच है मुफलिसी में आदमी  सौ बार मरता है 1 नागेश :  खफा वो हमसे इस कदर हो गए , मरासिम ही जेरो   ज़बर हो गए 1 मजाज़ अमरोही : क्या किसी रेशमी आँचल का लिया है बोसा , खुशबूए बांटती फिर रही है हवा ईद के दिन 1  राणा प्रताप गन्नौरी: दिल में यादे हंसी रहें उनकी , उनकी सूरत रहे निगांहों में , हम को लाजिम है अहतराम उनका, मिट गए जो वतन की निगांहों में 1 भूपेन्द्र  कुमार: गले मिलन का पर्व है , ईदुल फितर कमाल , भेद भाव से मुक्ति की , दूजी नहीं मिसाल 1 इरफ़ान:  तुम्हारी जुल्फ से खेले अच्छा नहीं लगता , कोई इन्हें छेड़े मेरे सिवा अच्छा नहीं लगता 1 आदेश त्यागी: मेरे हिस्से में एक ऊची उड़ान आने दो , मुझ तलक आज मेरा आसमान आने दो 1 आज हो जाने दो मुझे बाबस्ता ए आज़ादी मुझे , मेरी मुट्ठी  में सारा जहां आने दो 1 दर्द देहलवी  मंजिल का कुछ पता नहीं , रस्ते में हैं सभी , में ही अकेला कोई  हूँ, खतरे में हैं सभी 1 इखलास किस में कितना है , इस की खबर नहीं ; यह तो दिखाई देता है, सजदे में हैं सभी 1 ज़र्फ़ देहलवी : हर तरफ सद्भ्व्ना का संचार होना चाहिए , आदमी को आदमी से प्यार होनाचाहिए 1 सैफ सहरी  आदाब जिंदगी का उन्हें भी सिखाईये , बच्चों को अपने दोस्तों उर्दू पधायीये 1 नीता अरोरा : प्रेम तुम्हारा पावन पायल , मादक सी झंकार ; मानव मन के रंग महल में , स्वप्नों का अभिसार ;  नीता अरोरा जी की कविता : मैं हूँ हिंदी . शुकदेव शोत्रिये : नीम की गंध में याद आती रही , छांह में खेलते जीत की हार की 1 शोभना शुभी : लक्ष्मी बाई अमर है हम सब  जानते है , क्या देखा है आपने आज़ाद भारत में , किसी लक्ष्मी बाई को , अपनी अस्मिता की लड़ाई लड़ते 1 सदर साहिब जनाब ज़र्फ़ देहलवी ने सभी को ईद और स्वतंत्र दिवस की मुबारक बाद पेश करते और कामयाब गोष्टी की तारीफ़ की और अपनी प्रेम - शांति फेलाने वाली संदेशपूर्ण रचना सुनायी . अंत में आनंदम अध्यक्ष जगदीश रावतानी ने सभी उपस्थित जनों का गोष्टी में तशरीफ़ लाने के लिए शुक्रिया अदा किया . तद्पश्चात सभी ने  जलपान किया और एक  दूसरे से गले मिलकर  , मुहं मीठा करवाके ईद, स्वतंत्र दिवस और आनंदम संस्था के सफल चार वर्षों पर बधाई दी 

Friday, August 10, 2012

Jagdish Rawtani singing bhajans



ममता किरण के कविता संग्रह "वृक्ष था हरा भरा" पर चर्चा दिल्ली स्थित हिंदी भवन में ममता किरण के कविता- संग्रह ' वृक्ष था हरा भरा ' पर एक चर्चा गोष्ठी आयोजित की गयी जिसके मुख्य अतिथि थे आलोचना के शिखर पुरुष नामवर सिंह और अध्यक्ष थे प्रख्यात कवि केदार नाथ सिंह . चर्चा प्रारंभ करते हुए लोकायत के सम्पादक श्री बलराम ने कहा कि ममता किरण की कविताओं ने नारी विमर्श को नए आयाम दिए हैं .स्तंभकार एवं समीक्षक अनंत विजय ने इन कविताओं में आज के परिद्रश्य में टूटते रिश्तों को बचाने की कवयित्री की बेचैनी को रेखांकित किया ..सुविख्यात आलोचक विश्वनाथ त्रिपाठी ने इन कविताओं की सहजता एवं इनमे आम आदमी के दुःख-दर्द को अभिव्यक्ति देने की सराहना की . भारतीय ज्ञानपीठ के पूर्व निदेशक दिनेश मिश्र ने कविताओं में आशावाद और सकारात्मक सोच को मूल्यवान बताया .सुप्रसिद्ध कथाकार ममता कालिया ने इन कविताओं में भाषा एवं शिल्प के अनूठे प्रयोगों की सराहना की तथा समसामयिक विषयों की नए बिम्बों के साथ प्रस्तुति का उल्लेख किया .उन्होंने कहा अब महिला लेखन बहुत सुदृढ़ हो चुका है जिसे ममता किरण जैसी कवयित्रियाँ बहुत आगे ले जायेंगी .प्रोफ़ेसर नामवर सिंह ने कहा कि संग्रह की छोटी- छोटी कविताएँ बहुत प्रभावशाली हैं ..उन्होंने ' चाँद' और ' हुनर' आदि कविताओं का वाचन भी किया .गोष्ठी के अध्यक्ष के रूप में बोलते हुए कवि केदार नाथ सिंह ने ' अखबार', 'संबोधन', 'भाषा' ,'जन्म लूं ' आदि कविताओं का उदाहरण देते हुए कहा कि ये कवितायेँ लिखी हुई कविताएँ न होकर बोली हुई कविताएँ हैं और यही इनकी बहुत बड़ी शक्ति है ..इनमे एक अनूठी लय है जो प्रभावित करती है . गोष्ठी का संचालन 'उद्भव ' संस्था के विवेक गौतम और धन्यवाद ज्ञापन ' कवितायन ' संस्था के चन्द्र शेखर आश्री ने किया .. गोष्ठी में हिमांशु जोशी , बाल स्वरुप राही ,.उदय प्रताप सिंह .डाक्टर कुंवर बेचैन. डॉक्टर दामोदर खडसे ,प्रेम जन्मेजय सहित अनेक कवि.एवं लेखक उपस्थित थे .

Monday, June 25, 2012

ANANDAM KAVYA GOSHTI -DEV MANI PANDEY SAMMAN


आनंदम काव्य गोष्ठी व देवमणि पाण्डेय सम्मान समारोह (23 जून 2012) प्रेमचंद सहजवाला जगदीश रावतानी की संस्था ‘आनंदम: संगीत व साहित्य’ सभा के एक विशेष कार्यक्रम में दि. 23 जून 2012 को सुपरिचित कवि गीतकार देवमणि पाण्डेय को सम्मानित किया गया. यह कार्यक्रम नई दिल्ली के हिमालय हाऊस, कस्तूरबा गाँधी मार्ग स्थिति ‘मैक्स न्यू योर्क’ के सभागार में शाम 5.30 बजे से 8.30 तक हुआ तथा सुविख्यात कवि व भारतीय ज्ञानपीठ के पूर्व सचिव बालस्वरूप राही ने इस की अध्यक्षता की. कार्यक्रम में जाने माने गीतकार व आकाशवाणी दिल्ली के स्टेशन निदेशक लक्ष्मीशंकर वाजपेयी व अवामी सहारा टी.वी. चैनल के डायरेक्टर हसन काजमी मुख्य अतिथि रहे. श्री देवमणि पाण्डेय लोकप्रिय कवि हैं जिनके दो काव्य संग्रह ‘खुशबू की लकीरें’ और ‘अपना तो मिले कोई’ प्रकाशित हो चुके हैं. उन्होंने कई फिल्मों, धारावाहिकों व एल्बमों के लिये गीत लिखे हैं. फिल्म ‘पिंजर’ के लिये लिखे उनके गीत ‘चरखा चलाती माँ...’ को वर्ष 2003 को ‘वर्ष के सर्वश्रेष्ठ गीत’ का पुरस्कार मिला था. श्री देवमणि पाण्डेय उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में होने जा रहे विश्व हिंदी सम्मलेन में भी भाग ले रहे हैं. अध्यक्ष श्री बालस्वरूप राही ने श्री देवमणि को एक शाल व एक मोमेंटो भेंट किये जिस के बाद मुख्य अतिथियों तथा श्री बालस्वरूप राही ने श्री देवमणि की उपलब्धियों की सराहना करते हुए उन्हें हार्दिक बधाई व शुभकामनाएँ दी. सम्मान के पश्चात इस समारोह में हिंदी उर्दू के कई शायरों कवियों ने काव्यपाठ किया. अध्यक्ष बालस्वरूप राही के आग्रह पर श्री काजमी ने एक गज़ल पेश की जिसे तलत अज़ीज़ ने गया था. मतला: खुबसूरत है आँखे तेरी, रात को जागना छोड़ दे खुद ब खुद नींद आ जायेगी तू मुझे सोचना छोड़ दे. देवमणी पाण्डेय ने भी अपनी कुछ गजलें प्रस्तुत की. मतला: क्या पता था इश्क अपना हादसा हो जाएगा देखते रह जायेंगे हम तू जुदा हो जाएगा अन्य शायरों में दर्द देहलवी मजाज अमरोहवी वीरेंद्र कमर अजय अक्स आदि थे. कुछ शेर: जीने के हालात नहीं, मरना बस की बात नहीं (दर्द देहलवी) वो क्या समझे परेशानी किसीकी, जिसे कोई परेशानी नहीं है (सैफ सहरी) आप भी महफ़िल में हमको यूँ ही रुसवा करते हो हम तोहीने महफ़िल है तो महफ़िल से उठ जाए क्या (अजय अक्स). श्री बालस्वरूप राही ने अध्यक्षीय भाषण में श्री देवमणि पाण्डेय की प्रशंसी की व उन्हें बधाई व शुभकामना दी. उन्होंने अपनी एक गज़ल सुना कर सभागार को भावविभोर कर दिया: पहचान अगर बन न सकी तेरी तो क्या गम , कितने ही सितारों का कोई नाम नहीं है . ये शुक्र मना इतना तो इन्साफ हुआ है , तुझ पर ही तेरे क़त्ल का इलज़ाम नहीं  कार्यक्रम का संचालन करते हुए श्री जगदीश रावतानी ने अपनी एक गज़ल प्रस्तुत की. एक शेर: जब तल्क तुझ में अना है कौन चाहेगा तुझे बन के छोटा देख तू सबसे बड़ा हो जाएगा अंत में श्री अनिल वर्मा मीत ने धन्यवाद ज्ञापन दिया.

Sunday, June 17, 2012

BAL UTSAV


BAL UTSAVb> Sindhi Academy had conducted workshops in the different parts of Delhi for children in the summer vacation. Twenty four Groups were taught Singing, Dance and Drama.The training was imparted by renowned Directors. After attending the workshop all the children gave performances in the Shriram Center, Mandi House from 11th June to 14th June 2012. Function was named as Bal Utsav. The beautifully rendered performances justified the name. Every one who attended the show was spell bound and thrilled to see the excellent talent in the children. Performances comprised of five plays, ten dance dramas and nine singing items. . The Function was inaugurated by Smt Sheela Dixit, Chief Minister, Delhi. Dr Kiran Walia the Social Welfare, Women, Child Development and Language Minister was also present. Jagdish Rawtani compered the program all the four days. Ms Bhagya Mishra Secretary of Academy expressed her gratitudes to audience and her entire team for making the program extremely successful. Dr M.K. Jaitely Vice Chairman of the Academy was having all the praises for the secretary of the Academy. She deserves also as Sindhi Academy is very active specially after Madam Bhagya took over the charge as Secretary. All the very best to her and hope to see such marvelous performances in future also.

Saturday, May 19, 2012

ANANDAM KAVYA GOSHTI ON 14TH MAY 2012


हमें दिल टूटने का गम नहीं है, मगर ये हादसा कुछ कम नहीं है
नई दि‍ल्‍ली : जगदीश रावतानी की संस्था ‘आनंदम संगीत व साहित्य सभा’ की मासिक गोष्ठी नई दिल्ली स्थित हिमालय हाऊस के मैक्स न्यूयार्क सभागार में. 14 मई, 2012 को आयोजि‍त की गयी। इसमें दर्द देहलवी, साज़ देहलवी, सरफराज़ देहलवी, मजाज अमरोहवी, मासूम गाजियाबादी, जमील हापुडी, नौशाद ‘समर’, इरफ़ान ग़ालिब, डॉ. अशोक ‘मधुप’, रूपा सिंह, पूजा प्रजापति, भूपेंद्र कुमार शोभना ‘शुभी’, नागेश चन्द्र, वेदप्रकाश, वीरेंद्र कमर आदि‍ कवियों और शायरों ने हिस्सा लिया। गोष्ठी की अध्यक्षता प्रसिद्ध शायर नाज़ सिकंदाराबादी ने की। मासूम गाजियाबादी का एक शेर- हिफाज़त चरागों की और दामनों से वो अंजाम शायद नहीं जानते हैं। गज़ल का रंग जम जाए तो वाह वाह के स्वर गूँज उठते हैं, जैसे मजाज अमरोहवी का यह शेर- जीने के आरज़ू ने तो मरने नहीं दिया पर ज़िन्‍दगी से हाथ मिलाने के दिन गये। साज़ देहलवी उर्दू के अपने उम्दा रंग में नज़र आये- जगाओ ना अभी मुन्कर नाकीरो* मैं लौटा हूँ थका हारा सफर से। (* मुन्कर नकीर दो फ़रिश्ते हैं जो मरने के बाद कब्र में आ कर मरहूम से नाम आदि पूछते हैं)। दर्द देहलवी- आ कर तू इंतज़ार की शिद्दत तो देख ले मेरी नज़र की गर्मी मिलेगी किवाड में। आदेश त्यागी- छूटी खुदी और मुझ को खुदा आ गया नज़र ये शायरी से क्या मुझे इरफ़ान हो गया। डॉ. अशोक मधुप ‘आनंदम’ की गोष्ठी में पहली बार आए थे और उन्होंने एक शानदार गज़ल पेश की- आग दिल में लगी किस कदर देखिये जल गया है मेरा घर का घर देखिये हकपरास्तों का मैं राहबर था कभी आज नेज़े पे है मेरा सर देखिये। इरफ़ान ग़ालिब- अज़ीज़ भाई खफा सा दिखाई देता है मेरे ही खून का प्यासा दिखाई देता है उरूज़े-तिश्नगी या है फरेबे-हुस्ने-नज़र क्यों रेगज़ार भी दरिया दिखाई देता है। वीरेंद्र ‘कमर’- हमें दिल टूटने का गम नहीं है मगर ये हादसा कुछ कम नहीं है अता कुछ और कर ज़ख्मों की दौलत अभी दामन हमारा नम नहीं है। कवयित्री शोभना ‘शुभी’ ने सशक्त कविता पेश की- जिन आखों की तारीफ़ में उन्होंने कसीदे पढ़ दिए/ न रहें खाली यह सोच कर आँसू भर दिए… पूजा प्रजापति- कितना अच्छा होता जो दिल ना बनाता खुदा/तो ना शिकवा होता ना शिकायत ना कोई होता खुदा… रूपा सिंह- धूप धधकती कौंधती खिलखिलाती/अंधेरों को चीरती रौशन करती/… मेरी उम्र भी एक धूप थी… नागेश चन्द्र- और नहीं कुछ भी मन में/ आ जाओ तुम जीवन में भूपेन्द्र कुमार- सच्चे मानव के हाथों में पड़ती देखी हथकड़ियाँ क्यों भ्रष्टाचारी की गर्दन का फंदा ढीला ढाला है। ‘आनंदम’ संस्थापक अध्यक्ष जगदीश रावतानी ने अपने किसी मरहूम दोस्त को श्रद्धांजलि देते हुए एक मार्मिक कविता पढ़ी। गोष्ठी के अंत उन्‍होंने सभी उपस्थित कवियों-शायरों का धन्यवाद कि‍या। गोष्ठी का संचालन वीरेंद्र ‘कमर’ ने किया। प्रस्‍तुति‍ : प्रेमचंद सहजवाला

Tuesday, April 24, 2012


Brief Report on Inaugural of Anandam School Jagdish Rawtani opened a branch of Anandam Music School in New Palam Vihar, Gurgaon on 15the April 2012. Puja was performed by Pandit Bhardwaj. SDO, Electricity Board , Gurgaon was one of the special guests along with Sh. Naval Kisher Mallick, Renowned Vocalist and Sh. Bhaskar Jha, young talented Vocalist . Sh Rishi Raj Rana , Councilor of the area deputed his brother Ram Avtar Rana to inaugurate the School since he himself was busy with election activities in Delhi. All the aforementioned personalities were honored by presenting to them a SHAWL and a trophy. Pandit Mallik, Sh. Bhaskar Jha, Sh Nitish Mallick and Mrs sumitra Dutta rendered some Bhajans/Songs, which were rejoiced by all the present guests there. Some photographs for all the friends to see, please.