आनंदम ने रखा पांचवे वर्ष में पहला कदम
रिपोर्ट : तरुण रावतानी
जगदीश रावतानी की संस्था "आनंदम" ने अपने पांचवे वर्ष में कदम रखते हुए२२ अगस्त २०१२ को मासिक काव्य गोष्टी का आयोजन दरियागंज के एक सभागार में किया जिनमे जाने माने कवियों/शायरों ने शिरकत की और अपनी ग़ज़लों और कविताओं से गोष्टी को एक यादगार शाम बना दिया. इस मौके पर जगदीश जी ने एक कत्ता पढ़कर सभी मौजूद कवियों से अनुरोध किया के वे आसाम के निवासियों को यह सन्देश दें की हम सब इस संकट की घडी उनके साथ हैं . सभी हिन्दू , मुस्लिम, सिख, इसाई कवियों ने हाथ खड़े करके इस सन्देश को आसाम के भाई बहनों तक पहुचाने की गुजारिश की . शिरकत करने वाले शायरों के नाम हैं : सर्वश्री सैफ सहरी , भूपेन्द्र कुमार, जगदीश रावतानी, नीता अरोरा , मजाज़ अमरोही , शुकदेव, मंजुला दास , विरेंदर कमर , शोभना मित्तल , दर्द देहलवी, राणा प्रताप गन्नौरी , आदेश त्यागी , इरफ़ान तालिब, अजय अक्स , नागेश, सदारत की श्री ज़र्फ़ देहलवी जी ने और संचालन किया जगदीश रावतानी ने
ईद और स्वतंत्र दिवस को समर्पित इस शाम में कवियों ने अपने जज़्बात और मोहब्त को बेहद ख़ूबसूरत अंदाज़ में प्रस्तुत किया . चन्द ग़ज़लों /कविताओं की कुछ पंक्तियाँ पाठकों के लिए प्रस्तुत हैं .
जगदीश रावतानी:
इश्क कर बन्दों से तेरा फायदा हो जाएगा ,
नफरतों का बीज जग से ला पता हो जाएगा ,
क्यों हवा देता है अफवाहों की चिंगारी को यू,
आग भड़केगी तो फिर सब कुछ फना हो जाएगा 1
अजय अक्स :
कभी ईमान मरता है कभी किरदार मरता है ,
ये सच है मुफलिसी में आदमी सौ बार मरता है 1
नागेश :
खफा वो हमसे इस कदर हो गए ,
मरासिम ही जेरो ज़बर हो गए 1
मजाज़ अमरोही :
क्या किसी रेशमी आँचल का लिया है बोसा ,
खुशबूए बांटती फिर रही है हवा ईद के दिन 1
राणा प्रताप गन्नौरी:
दिल में यादे हंसी रहें उनकी , उनकी सूरत रहे निगांहों में ,
हम को लाजिम है अहतराम उनका, मिट गए जो वतन की निगांहों में 1
भूपेन्द्र कुमार:
गले मिलन का पर्व है , ईदुल फितर कमाल ,
भेद भाव से मुक्ति की , दूजी नहीं मिसाल 1
इरफ़ान:
तुम्हारी जुल्फ से खेले अच्छा नहीं लगता ,
कोई इन्हें छेड़े मेरे सिवा अच्छा नहीं लगता 1
आदेश त्यागी:
मेरे हिस्से में एक ऊची उड़ान आने दो ,
मुझ तलक आज मेरा आसमान आने दो 1
आज हो जाने दो मुझे बाबस्ता ए आज़ादी मुझे ,
मेरी मुट्ठी में सारा जहां आने दो 1
दर्द देहलवी
मंजिल का कुछ पता नहीं , रस्ते में हैं सभी ,
में ही अकेला कोई हूँ, खतरे में हैं सभी 1
इखलास किस में कितना है , इस की खबर नहीं ;
यह तो दिखाई देता है, सजदे में हैं सभी 1
ज़र्फ़ देहलवी :
हर तरफ सद्भ्व्ना का संचार होना चाहिए ,
आदमी को आदमी से प्यार होनाचाहिए 1
सैफ सहरी
आदाब जिंदगी का उन्हें भी सिखाईये ,
बच्चों को अपने दोस्तों उर्दू पधायीये 1
नीता अरोरा :
प्रेम तुम्हारा पावन पायल , मादक सी झंकार ;
मानव मन के रंग महल में , स्वप्नों का अभिसार ;
नीता अरोरा जी की कविता : मैं हूँ हिंदी .
शुकदेव शोत्रिये :
नीम की गंध में याद आती रही ,
छांह में खेलते जीत की हार की 1
शोभना शुभी :
लक्ष्मी बाई अमर है हम सब जानते है ,
क्या देखा है आपने आज़ाद भारत में ,
किसी लक्ष्मी बाई को ,
अपनी अस्मिता की लड़ाई लड़ते 1
सदर साहिब जनाब ज़र्फ़ देहलवी ने सभी को ईद और स्वतंत्र दिवस की मुबारक बाद पेश करते और कामयाब गोष्टी की तारीफ़ की और अपनी प्रेम - शांति फेलाने वाली संदेशपूर्ण रचना सुनायी . अंत में आनंदम अध्यक्ष जगदीश रावतानी ने सभी उपस्थित जनों का गोष्टी में तशरीफ़ लाने के लिए शुक्रिया अदा किया . तद्पश्चात सभी ने जलपान किया और एक दूसरे से गले मिलकर , मुहं मीठा करवाके ईद, स्वतंत्र दिवस और आनंदम संस्था के सफल चार वर्षों पर बधाई दी