आनंदम /आर्ट एक्सीलेंस और उर्दू अकादमी का खूबसूरत संगम - मुशायरा/काव्य गोष्टी
रिपोर्ट: तरुण रावतानी
आनंदम/आर्ट एक्सीलेंस और उर्दू अकादमी ने मिल कर एक मुशायरा / काव्य गोष्टी का आयोजन 5 दिसम्बर 2012 को indian habitat center में किया जिसमे जाने माने शायरों एवं कवियों ने शिरकत की . उर्दू अकादमी की और से मनोनीत पांच शायरों ने गज़ले पढ़ी जिनके नाम इस प्रकार है . सैफ सहरी , मुन्नवर सरहदी, जगदीश रावतानी , शहादत अली निजामी और दर्द देहलवी। संचालन दर्द देहलवी ने किया। दुसरे सत्र में उपस्थित सभी कवियों ने रचना पाठ किया जिनमे से कुछ नाम प्रस्तुत है।
लक्ष्मी शंकर बाजपाई , ममता किरण , आदेश त्यागी, अहमद अली बर्की ,प्रोफेसर ललन प्रसाद . ममता अग्रवाल , संजुला शर्मा, भूपेन्द्र कुमार, नागेश चन्द्र , आरती स्मित, मजाज़ अमरोही , मुतरिब सुलतान, सुषमा भंडारी आदि। इस सत्र का संचालन जगदीश रावतानी ने किया- इस सुंदर , यादगार और अनेकता में एकता का सन्देश देती इस शाम में पढ़े गए चंद शेर/पंक्तियाँ पाठकों के लिए :
आदेश त्यागी :
यूँ मेरी खामोशियों को दी जुबां हालत ने ,
ना समझ नादाँ को शायर कर दिया जज़्बात ने
अनिल वर्मा मीत :
इक पहेली है, गुमां है ज़िन्दगी ,
ढूँढ़ते है कंहाँ है ज़िन्दगी
अब्दुल हमान मंसूर :
कोई ज़ख़्मी की मदद को आता नहीं ,
जिसको देखो पूछता है हादसा कैसे हुआ
जगदीश रावतानी :
न जाने किसने कलयुग आज के युग को बता डाला,
था क्या तब जब युधिष्टर अपनी पत्नी हार आया था
अशोक कश्यप
ज़िन्दगी जब ये मुस्कुराएगी ,
हर झरोखे से महक आएगी
रविन्द्र शर्मा रवि :
हर वक़्त टहनियों पे मचाते है शोर गुल ,
पीपल ने पंछियों को बहुत सर चढ़ा लिया
दर्द देहलवी :
लगता है जनाज़े में तमाशाई हैं सारे ,
इस भीड़ में इक आँख भी नमनाक नहीं
भूपेन्द्र कुमार :
लगाओ नित नए पौधे , रखो महफूज़ पेड़ों को,
कभी य़ू भी हमारा ग़मज़दा दिल चैन पाता है
अजय अक्स :
अब है दुनियां में मुख़्तसर पानी ,
खर्च कीजिये सोच कर पानी ,
सारी धरती को कर दिया सहरा ,
अब तू ढूंढे है चाँद पर पानी
मुन्नवर सरहदी :
अपनी लैला के लिए चारों पहर बेदार है ,
में जिसे कीवाना समझा था बहुत हुशियार है
सुषमा भंडारी :
जब से तेरी कोख में आयी क्यू है तू बैचैन ,
माँ मेरी मुझको बतलादे क्यू भीगे ये नैन
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