Saturday, December 8, 2012


                                     आनंदम /आर्ट एक्सीलेंस और उर्दू अकादमी का खूबसूरत  संगम - मुशायरा/काव्य गोष्टी  रिपोर्ट: तरुण रावतानी 
आनंदम/आर्ट एक्सीलेंस और उर्दू अकादमी ने मिल कर एक मुशायरा / काव्य गोष्टी का आयोजन  5 दिसम्बर 2012 को indian habitat  center में किया जिसमे जाने माने शायरों एवं कवियों  ने शिरकत की  . उर्दू अकादमी की और से मनोनीत  पांच शायरों ने गज़ले पढ़ी जिनके नाम इस प्रकार है .  सैफ सहरी , मुन्नवर  सरहदी, जगदीश रावतानी ,  शहादत अली निजामी और दर्द देहलवी। संचालन दर्द देहलवी ने किया। दुसरे सत्र में उपस्थित सभी कवियों ने रचना पाठ किया जिनमे से कुछ नाम प्रस्तुत है। लक्ष्मी शंकर बाजपाई , ममता किरण , आदेश त्यागी, अहमद अली बर्की ,प्रोफेसर  ललन प्रसाद . ममता अग्रवाल , संजुला शर्मा, भूपेन्द्र कुमार, नागेश चन्द्र , आरती स्मित, मजाज़ अमरोही , मुतरिब सुलतान, सुषमा भंडारी आदि। इस सत्र का  संचालन जगदीश रावतानी ने किया-  इस सुंदर , यादगार और अनेकता में एकता का सन्देश देती इस शाम में पढ़े गए चंद शेर/पंक्तियाँ पाठकों के लिए : 
आदेश त्यागी : यूँ मेरी खामोशियों को दी जुबां हालत ने , ना समझ नादाँ को शायर कर दिया जज़्बात ने  अनिल वर्मा मीत : इक पहेली है, गुमां है ज़िन्दगी , ढूँढ़ते है     कंहाँ  है   ज़िन्दगी  अब्दुल हमान मंसूर : कोई ज़ख़्मी की मदद को आता नहीं , जिसको देखो पूछता है हादसा कैसे हुआ 
जगदीश रावतानी : न जाने किसने कलयुग आज के युग  को बता डाला, था क्या तब जब युधिष्टर अपनी पत्नी हार आया था अशोक कश्यप  ज़िन्दगी जब ये मुस्कुराएगी , हर झरोखे से महक आएगी  रविन्द्र शर्मा रवि : हर वक़्त टहनियों पे मचाते है शोर गुल , पीपल ने पंछियों को बहुत सर चढ़ा लिया  दर्द देहलवी : लगता है जनाज़े में तमाशाई हैं सारे , इस भीड़ में इक आँख भी नमनाक नहीं 
भूपेन्द्र कुमार : लगाओ नित नए पौधे , रखो महफूज़ पेड़ों को, कभी य़ू भी हमारा ग़मज़दा दिल चैन पाता है  अजय अक्स : अब है दुनियां में मुख़्तसर पानी , खर्च कीजिये सोच कर पानी , सारी  धरती को कर दिया सहरा , अब तू ढूंढे है चाँद पर पानी  मुन्नवर सरहदी : अपनी लैला के लिए चारों  पहर बेदार है , में जिसे कीवाना समझा था बहुत हुशियार है  सुषमा भंडारी : जब से तेरी कोख में आयी क्यू  है तू बैचैन , माँ मेरी मुझको बतलादे क्यू भीगे ये नैन 

Wednesday, November 7, 2012


SINDHI ADAPTATION OF A PLAY "CAN'T PAY WON'T PAY" STAGED IN SHRI RAM CENTRE Report By Tarun Rawtani New Delhi: Shriram Centre was packed to the full with the audience on 27th & 28th Oct 2012 as the Sindhi Academy Presented a Play namely "Chukaeedaasi Kaun" an adaptation of italian Noble Laureate Dario Fo's play "Can't Pay Won"t Pay" . The play was directed by Renowned Director Manohar Khushlani. Jagdish Rawtani played as Govind, Harish Kotwani as Jagdish, Usha Shahani as Laxmi, Mamta Chawla as Mohini , Ravi Khurana as Inspector , Akshay Kurseja as Hawaldar, Shiva Vohar as Father and Pawan Bajaj as Taboot wall. Live instruments were played by Tarun Rawtani and Ravi Khurana. Performances were par excellent . The audience thoroughly enjoyed the comedy and could appreciate the underlined social message. Laxmi, govinde, Mohine and Jagdish are neighbors in the same run-down apartment block. The cost of living is spiraling out of control and with neither couple having paid their rent or utility bills for months the threat of eviction is looming close. However it is only wives that know of the impending doom, as the housekeeping money they receive from their ever-trusting husbands is being swallowed up by the cost of living. Things are so bad that all of the women in the area lay siege to the local supermarket and relieve it of its stock without paying. Obviously this incurs the wrath of the police who begin to search for any of the stolen goods. Laxmi knows that Govind would not condone any of this action and needs to hide as much as she can. This is just the start of a sequence of events that include phantom pregnancies, ideology touting policemen, tomfoolery and impromptu celebration. It also involves charters appearing and disappearing out of windows and doors- the kind of facial business of which Fo is a master. Initially Govind is shown as a gullible law abiding citizen, but when he and jagdish are about to lose their jobs and are rewarded by free provisions due to a freak truck accident, they succumb to temptation and bring the booty home. Both the husbands and wives are hiding their groceries from each other until the situation creates an interesting anti-climax. Throughout the play the audience is also educated about economy and market forces as understood by the playwright

Wednesday, September 26, 2012

Hindi Academy/Anandam/Art Excellence Kavya Goshti


‘आनंदम’ ‘आर्ट एक्सीलेंस’ और हिंदी अकादमी की एक यादगार काव्य संध्या रिपोर्ट – प्रेमचंद सहजवाला दि. 15 सितंबर 2012 को जगदीश रावतानी की संस्थाओं ‘आनंदम संगीत व साहित्य सभा’ तथा ‘आर्ट एक्सीलेंस’ के साथ ‘हिंदी अकादमी’ के तत्वावधान में दिल्ली के सिंधी-उर्दू अकादमी सभागार में एक यादगार काव्य-संध्या का आयोजन हुआ. कार्यक्रम के प्रथम सत्र की अध्यक्षता मुनव्वर सरहदी ने की तथा मंच पर लक्ष्मीशंकर वाजपेयी, लालित्य ललित, भूपेंदर कुमार तथा जगदीश रावतानी थे. इस अवसर पर मुनव्वर सरहदी ने जगदीश रावतानी के जन्म दिन की  पूर्व-संध्या पर शाल पहना कर उन्हें सम्मानित किया और उपस्थित कवी गणों ने उन्हें जन्म दिन  की शुभकामनाये दी. लक्ष्मीशंकर वाजपेयी ने अलग अलग मिज़ाज की रचनाएं सुना कर सभी का दिल जीत लिया . लालित्य ललित ने ज़मीन से जुडी रचनाओं का पाठ किया जिनमे आम आदमी का दर्द मानवीय सरकारों के माध्यम से व्यक्त हुआ. भूपेंदर कुमार और वीरेंदर कमर की रचनाओं ने लोगो की खूब वाह वाही  लूटी. मुनव्वर सरहदी हर बार की तरह उपस्थित श्रोताओं को हंसाने में कामयाब रहे.  जगदीश रावतानी  ने एक सशक्त गज़ल पेश की. एक शेर: वक़्त की नीव के हिलते ही सिहर जाता है  मौत से डरता है इंसान तो मर जाता है. दूसरे सत्र में राना प्रताप गनौरी अध्यक्ष रहे तथा सैफ सहरी व जगदीश रावतानी मंच पर उपस्थित थे. इस में शहादत अली निजामी, फैजान आतिफ, दर्द देहलवी, इरफ़ान तालिब, नागेश चन्द्र, रवीन्द्र शर्मा ‘रवि’, आदेश त्यागी, अनिल वर्मा ‘मीत’, लखमी चन्द्र ‘सुमन’ शकील इब्नेनज़र, नूर, नेहा आस, डी.एस.सुधाकर, अर्चना गुप्ता, आरती ‘स्मित’ आदि कवियों ने अपनी रचनाएँ प्रस्तुत की. कुछ यादगार पंक्तियाँ: हमारे ज़ब्त का क्यों इम्तिहान लेता है , अना के जिस्म में बाकी लिबास रहने दे (शहादत अली निजामी), ये अहले जौक समझते हैं वक्त की कीमत , जो चंद लफ़्ज़ों में किस्सा तमाम करते हैं (फैजान आतिफ). अख़लाक़ भाईचारा मोहब्बत को आम कर , तू आदमी है आदमी वाले ही काम कर (दर्द देहलवी). ज़माने की नज़रों से माना छुपा है , तेरा राज़ लेकिन तुझे तो पता है (नागेश चन्द्र). हश्र के रोज मुझे तेरी बहुत याद आयी , मैं तो जन्नत में भी आयी हूँ तो नाशाद आयी (नेहा आस). जिस दिन कलम उठा ली थी इन हाथों ने ,
उस दिन से ही मैंने डरना छोड़ दिया (आदेश त्यागी) कुछ भी हो सकता है हालात से डर लगता है आदमी अब तो तेरी ज़ात से डर लगता है (रवींद्र शर्मा ‘रवि) श्री अनिल मीत ने धन्यवाद देते हुए सभी उपस्थित कवियों को कामयाब गोष्टी के लिए बधाई दी . बाहर बारिश की फुहारों के होते चाय आदि के बाद एक तीसरा और संक्षिप्त सत्र भी चला जिसमें कुछ अन्य वाहवाही भरी रचनाएँ प्रस्तुत हुई. अंत में जगदीश रावतानी ने सभी कवियों श्रोताओं का धन्यवाद किया.विशेष रूप से सिन्धी अकादमी का धन्यवाद किया गया जिनकी बदौलत ये सभागार प्राप्त हुआ

Wednesday, August 29, 2012

ANANDAM KAVYA GOSHTI ON 22ND AUG 2012


आनंदम ने रखा पांचवे वर्ष में पहला कदम                               रिपोर्ट :  तरुण रावतानी जगदीश रावतानी की संस्था "आनंदम" ने अपने पांचवे वर्ष में कदम रखते हुए२२ अगस्त २०१२ को मासिक काव्य गोष्टी का आयोजन दरियागंज के एक सभागार में किया जिनमे जाने माने कवियों/शायरों ने शिरकत की और अपनी ग़ज़लों और कविताओं से गोष्टी को एक यादगार शाम बना दिया. इस मौके पर जगदीश जी ने एक कत्ता पढ़कर सभी मौजूद कवियों से अनुरोध किया के वे आसाम के निवासियों को यह सन्देश दें की हम सब इस संकट की घडी उनके साथ हैं . सभी हिन्दू , मुस्लिम, सिख, इसाई  कवियों  ने हाथ खड़े करके इस सन्देश को आसाम के भाई बहनों तक पहुचाने की गुजारिश की . शिरकत करने वाले शायरों के नाम हैं : सर्वश्री सैफ सहरी , भूपेन्द्र कुमार, जगदीश रावतानी, नीता अरोरा , मजाज़ अमरोही , शुकदेव,  मंजुला दास , विरेंदर कमर , शोभना मित्तल , दर्द देहलवी, राणा प्रताप गन्नौरी  , आदेश त्यागी , इरफ़ान तालिब, अजय अक्स , नागेश, सदारत की श्री ज़र्फ़ देहलवी जी ने और संचालन किया जगदीश रावतानी ने ईद और स्वतंत्र दिवस को समर्पित इस शाम में कवियों ने अपने जज़्बात और मोहब्त को बेहद  ख़ूबसूरत अंदाज़ में प्रस्तुत किया . चन्द ग़ज़लों /कविताओं की कुछ पंक्तियाँ पाठकों के लिए प्रस्तुत हैं . जगदीश रावतानी:  इश्क कर बन्दों से तेरा फायदा हो जाएगा , नफरतों का बीज जग से ला पता हो जाएगा , क्यों हवा देता है अफवाहों की चिंगारी को यू, आग भड़केगी तो फिर सब कुछ फना हो जाएगा 1 अजय अक्स : कभी ईमान मरता है कभी किरदार मरता है , ये सच है मुफलिसी में आदमी  सौ बार मरता है 1 नागेश :  खफा वो हमसे इस कदर हो गए , मरासिम ही जेरो   ज़बर हो गए 1 मजाज़ अमरोही : क्या किसी रेशमी आँचल का लिया है बोसा , खुशबूए बांटती फिर रही है हवा ईद के दिन 1  राणा प्रताप गन्नौरी: दिल में यादे हंसी रहें उनकी , उनकी सूरत रहे निगांहों में , हम को लाजिम है अहतराम उनका, मिट गए जो वतन की निगांहों में 1 भूपेन्द्र  कुमार: गले मिलन का पर्व है , ईदुल फितर कमाल , भेद भाव से मुक्ति की , दूजी नहीं मिसाल 1 इरफ़ान:  तुम्हारी जुल्फ से खेले अच्छा नहीं लगता , कोई इन्हें छेड़े मेरे सिवा अच्छा नहीं लगता 1 आदेश त्यागी: मेरे हिस्से में एक ऊची उड़ान आने दो , मुझ तलक आज मेरा आसमान आने दो 1 आज हो जाने दो मुझे बाबस्ता ए आज़ादी मुझे , मेरी मुट्ठी  में सारा जहां आने दो 1 दर्द देहलवी  मंजिल का कुछ पता नहीं , रस्ते में हैं सभी , में ही अकेला कोई  हूँ, खतरे में हैं सभी 1 इखलास किस में कितना है , इस की खबर नहीं ; यह तो दिखाई देता है, सजदे में हैं सभी 1 ज़र्फ़ देहलवी : हर तरफ सद्भ्व्ना का संचार होना चाहिए , आदमी को आदमी से प्यार होनाचाहिए 1 सैफ सहरी  आदाब जिंदगी का उन्हें भी सिखाईये , बच्चों को अपने दोस्तों उर्दू पधायीये 1 नीता अरोरा : प्रेम तुम्हारा पावन पायल , मादक सी झंकार ; मानव मन के रंग महल में , स्वप्नों का अभिसार ;  नीता अरोरा जी की कविता : मैं हूँ हिंदी . शुकदेव शोत्रिये : नीम की गंध में याद आती रही , छांह में खेलते जीत की हार की 1 शोभना शुभी : लक्ष्मी बाई अमर है हम सब  जानते है , क्या देखा है आपने आज़ाद भारत में , किसी लक्ष्मी बाई को , अपनी अस्मिता की लड़ाई लड़ते 1 सदर साहिब जनाब ज़र्फ़ देहलवी ने सभी को ईद और स्वतंत्र दिवस की मुबारक बाद पेश करते और कामयाब गोष्टी की तारीफ़ की और अपनी प्रेम - शांति फेलाने वाली संदेशपूर्ण रचना सुनायी . अंत में आनंदम अध्यक्ष जगदीश रावतानी ने सभी उपस्थित जनों का गोष्टी में तशरीफ़ लाने के लिए शुक्रिया अदा किया . तद्पश्चात सभी ने  जलपान किया और एक  दूसरे से गले मिलकर  , मुहं मीठा करवाके ईद, स्वतंत्र दिवस और आनंदम संस्था के सफल चार वर्षों पर बधाई दी 

Friday, August 10, 2012

Jagdish Rawtani singing bhajans



ममता किरण के कविता संग्रह "वृक्ष था हरा भरा" पर चर्चा दिल्ली स्थित हिंदी भवन में ममता किरण के कविता- संग्रह ' वृक्ष था हरा भरा ' पर एक चर्चा गोष्ठी आयोजित की गयी जिसके मुख्य अतिथि थे आलोचना के शिखर पुरुष नामवर सिंह और अध्यक्ष थे प्रख्यात कवि केदार नाथ सिंह . चर्चा प्रारंभ करते हुए लोकायत के सम्पादक श्री बलराम ने कहा कि ममता किरण की कविताओं ने नारी विमर्श को नए आयाम दिए हैं .स्तंभकार एवं समीक्षक अनंत विजय ने इन कविताओं में आज के परिद्रश्य में टूटते रिश्तों को बचाने की कवयित्री की बेचैनी को रेखांकित किया ..सुविख्यात आलोचक विश्वनाथ त्रिपाठी ने इन कविताओं की सहजता एवं इनमे आम आदमी के दुःख-दर्द को अभिव्यक्ति देने की सराहना की . भारतीय ज्ञानपीठ के पूर्व निदेशक दिनेश मिश्र ने कविताओं में आशावाद और सकारात्मक सोच को मूल्यवान बताया .सुप्रसिद्ध कथाकार ममता कालिया ने इन कविताओं में भाषा एवं शिल्प के अनूठे प्रयोगों की सराहना की तथा समसामयिक विषयों की नए बिम्बों के साथ प्रस्तुति का उल्लेख किया .उन्होंने कहा अब महिला लेखन बहुत सुदृढ़ हो चुका है जिसे ममता किरण जैसी कवयित्रियाँ बहुत आगे ले जायेंगी .प्रोफ़ेसर नामवर सिंह ने कहा कि संग्रह की छोटी- छोटी कविताएँ बहुत प्रभावशाली हैं ..उन्होंने ' चाँद' और ' हुनर' आदि कविताओं का वाचन भी किया .गोष्ठी के अध्यक्ष के रूप में बोलते हुए कवि केदार नाथ सिंह ने ' अखबार', 'संबोधन', 'भाषा' ,'जन्म लूं ' आदि कविताओं का उदाहरण देते हुए कहा कि ये कवितायेँ लिखी हुई कविताएँ न होकर बोली हुई कविताएँ हैं और यही इनकी बहुत बड़ी शक्ति है ..इनमे एक अनूठी लय है जो प्रभावित करती है . गोष्ठी का संचालन 'उद्भव ' संस्था के विवेक गौतम और धन्यवाद ज्ञापन ' कवितायन ' संस्था के चन्द्र शेखर आश्री ने किया .. गोष्ठी में हिमांशु जोशी , बाल स्वरुप राही ,.उदय प्रताप सिंह .डाक्टर कुंवर बेचैन. डॉक्टर दामोदर खडसे ,प्रेम जन्मेजय सहित अनेक कवि.एवं लेखक उपस्थित थे .

Monday, June 25, 2012

ANANDAM KAVYA GOSHTI -DEV MANI PANDEY SAMMAN


आनंदम काव्य गोष्ठी व देवमणि पाण्डेय सम्मान समारोह (23 जून 2012) प्रेमचंद सहजवाला जगदीश रावतानी की संस्था ‘आनंदम: संगीत व साहित्य’ सभा के एक विशेष कार्यक्रम में दि. 23 जून 2012 को सुपरिचित कवि गीतकार देवमणि पाण्डेय को सम्मानित किया गया. यह कार्यक्रम नई दिल्ली के हिमालय हाऊस, कस्तूरबा गाँधी मार्ग स्थिति ‘मैक्स न्यू योर्क’ के सभागार में शाम 5.30 बजे से 8.30 तक हुआ तथा सुविख्यात कवि व भारतीय ज्ञानपीठ के पूर्व सचिव बालस्वरूप राही ने इस की अध्यक्षता की. कार्यक्रम में जाने माने गीतकार व आकाशवाणी दिल्ली के स्टेशन निदेशक लक्ष्मीशंकर वाजपेयी व अवामी सहारा टी.वी. चैनल के डायरेक्टर हसन काजमी मुख्य अतिथि रहे. श्री देवमणि पाण्डेय लोकप्रिय कवि हैं जिनके दो काव्य संग्रह ‘खुशबू की लकीरें’ और ‘अपना तो मिले कोई’ प्रकाशित हो चुके हैं. उन्होंने कई फिल्मों, धारावाहिकों व एल्बमों के लिये गीत लिखे हैं. फिल्म ‘पिंजर’ के लिये लिखे उनके गीत ‘चरखा चलाती माँ...’ को वर्ष 2003 को ‘वर्ष के सर्वश्रेष्ठ गीत’ का पुरस्कार मिला था. श्री देवमणि पाण्डेय उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में होने जा रहे विश्व हिंदी सम्मलेन में भी भाग ले रहे हैं. अध्यक्ष श्री बालस्वरूप राही ने श्री देवमणि को एक शाल व एक मोमेंटो भेंट किये जिस के बाद मुख्य अतिथियों तथा श्री बालस्वरूप राही ने श्री देवमणि की उपलब्धियों की सराहना करते हुए उन्हें हार्दिक बधाई व शुभकामनाएँ दी. सम्मान के पश्चात इस समारोह में हिंदी उर्दू के कई शायरों कवियों ने काव्यपाठ किया. अध्यक्ष बालस्वरूप राही के आग्रह पर श्री काजमी ने एक गज़ल पेश की जिसे तलत अज़ीज़ ने गया था. मतला: खुबसूरत है आँखे तेरी, रात को जागना छोड़ दे खुद ब खुद नींद आ जायेगी तू मुझे सोचना छोड़ दे. देवमणी पाण्डेय ने भी अपनी कुछ गजलें प्रस्तुत की. मतला: क्या पता था इश्क अपना हादसा हो जाएगा देखते रह जायेंगे हम तू जुदा हो जाएगा अन्य शायरों में दर्द देहलवी मजाज अमरोहवी वीरेंद्र कमर अजय अक्स आदि थे. कुछ शेर: जीने के हालात नहीं, मरना बस की बात नहीं (दर्द देहलवी) वो क्या समझे परेशानी किसीकी, जिसे कोई परेशानी नहीं है (सैफ सहरी) आप भी महफ़िल में हमको यूँ ही रुसवा करते हो हम तोहीने महफ़िल है तो महफ़िल से उठ जाए क्या (अजय अक्स). श्री बालस्वरूप राही ने अध्यक्षीय भाषण में श्री देवमणि पाण्डेय की प्रशंसी की व उन्हें बधाई व शुभकामना दी. उन्होंने अपनी एक गज़ल सुना कर सभागार को भावविभोर कर दिया: पहचान अगर बन न सकी तेरी तो क्या गम , कितने ही सितारों का कोई नाम नहीं है . ये शुक्र मना इतना तो इन्साफ हुआ है , तुझ पर ही तेरे क़त्ल का इलज़ाम नहीं  कार्यक्रम का संचालन करते हुए श्री जगदीश रावतानी ने अपनी एक गज़ल प्रस्तुत की. एक शेर: जब तल्क तुझ में अना है कौन चाहेगा तुझे बन के छोटा देख तू सबसे बड़ा हो जाएगा अंत में श्री अनिल वर्मा मीत ने धन्यवाद ज्ञापन दिया.

Sunday, June 17, 2012

BAL UTSAV


BAL UTSAVb> Sindhi Academy had conducted workshops in the different parts of Delhi for children in the summer vacation. Twenty four Groups were taught Singing, Dance and Drama.The training was imparted by renowned Directors. After attending the workshop all the children gave performances in the Shriram Center, Mandi House from 11th June to 14th June 2012. Function was named as Bal Utsav. The beautifully rendered performances justified the name. Every one who attended the show was spell bound and thrilled to see the excellent talent in the children. Performances comprised of five plays, ten dance dramas and nine singing items. . The Function was inaugurated by Smt Sheela Dixit, Chief Minister, Delhi. Dr Kiran Walia the Social Welfare, Women, Child Development and Language Minister was also present. Jagdish Rawtani compered the program all the four days. Ms Bhagya Mishra Secretary of Academy expressed her gratitudes to audience and her entire team for making the program extremely successful. Dr M.K. Jaitely Vice Chairman of the Academy was having all the praises for the secretary of the Academy. She deserves also as Sindhi Academy is very active specially after Madam Bhagya took over the charge as Secretary. All the very best to her and hope to see such marvelous performances in future also.

Saturday, May 19, 2012

ANANDAM KAVYA GOSHTI ON 14TH MAY 2012


हमें दिल टूटने का गम नहीं है, मगर ये हादसा कुछ कम नहीं है
नई दि‍ल्‍ली : जगदीश रावतानी की संस्था ‘आनंदम संगीत व साहित्य सभा’ की मासिक गोष्ठी नई दिल्ली स्थित हिमालय हाऊस के मैक्स न्यूयार्क सभागार में. 14 मई, 2012 को आयोजि‍त की गयी। इसमें दर्द देहलवी, साज़ देहलवी, सरफराज़ देहलवी, मजाज अमरोहवी, मासूम गाजियाबादी, जमील हापुडी, नौशाद ‘समर’, इरफ़ान ग़ालिब, डॉ. अशोक ‘मधुप’, रूपा सिंह, पूजा प्रजापति, भूपेंद्र कुमार शोभना ‘शुभी’, नागेश चन्द्र, वेदप्रकाश, वीरेंद्र कमर आदि‍ कवियों और शायरों ने हिस्सा लिया। गोष्ठी की अध्यक्षता प्रसिद्ध शायर नाज़ सिकंदाराबादी ने की। मासूम गाजियाबादी का एक शेर- हिफाज़त चरागों की और दामनों से वो अंजाम शायद नहीं जानते हैं। गज़ल का रंग जम जाए तो वाह वाह के स्वर गूँज उठते हैं, जैसे मजाज अमरोहवी का यह शेर- जीने के आरज़ू ने तो मरने नहीं दिया पर ज़िन्‍दगी से हाथ मिलाने के दिन गये। साज़ देहलवी उर्दू के अपने उम्दा रंग में नज़र आये- जगाओ ना अभी मुन्कर नाकीरो* मैं लौटा हूँ थका हारा सफर से। (* मुन्कर नकीर दो फ़रिश्ते हैं जो मरने के बाद कब्र में आ कर मरहूम से नाम आदि पूछते हैं)। दर्द देहलवी- आ कर तू इंतज़ार की शिद्दत तो देख ले मेरी नज़र की गर्मी मिलेगी किवाड में। आदेश त्यागी- छूटी खुदी और मुझ को खुदा आ गया नज़र ये शायरी से क्या मुझे इरफ़ान हो गया। डॉ. अशोक मधुप ‘आनंदम’ की गोष्ठी में पहली बार आए थे और उन्होंने एक शानदार गज़ल पेश की- आग दिल में लगी किस कदर देखिये जल गया है मेरा घर का घर देखिये हकपरास्तों का मैं राहबर था कभी आज नेज़े पे है मेरा सर देखिये। इरफ़ान ग़ालिब- अज़ीज़ भाई खफा सा दिखाई देता है मेरे ही खून का प्यासा दिखाई देता है उरूज़े-तिश्नगी या है फरेबे-हुस्ने-नज़र क्यों रेगज़ार भी दरिया दिखाई देता है। वीरेंद्र ‘कमर’- हमें दिल टूटने का गम नहीं है मगर ये हादसा कुछ कम नहीं है अता कुछ और कर ज़ख्मों की दौलत अभी दामन हमारा नम नहीं है। कवयित्री शोभना ‘शुभी’ ने सशक्त कविता पेश की- जिन आखों की तारीफ़ में उन्होंने कसीदे पढ़ दिए/ न रहें खाली यह सोच कर आँसू भर दिए… पूजा प्रजापति- कितना अच्छा होता जो दिल ना बनाता खुदा/तो ना शिकवा होता ना शिकायत ना कोई होता खुदा… रूपा सिंह- धूप धधकती कौंधती खिलखिलाती/अंधेरों को चीरती रौशन करती/… मेरी उम्र भी एक धूप थी… नागेश चन्द्र- और नहीं कुछ भी मन में/ आ जाओ तुम जीवन में भूपेन्द्र कुमार- सच्चे मानव के हाथों में पड़ती देखी हथकड़ियाँ क्यों भ्रष्टाचारी की गर्दन का फंदा ढीला ढाला है। ‘आनंदम’ संस्थापक अध्यक्ष जगदीश रावतानी ने अपने किसी मरहूम दोस्त को श्रद्धांजलि देते हुए एक मार्मिक कविता पढ़ी। गोष्ठी के अंत उन्‍होंने सभी उपस्थित कवियों-शायरों का धन्यवाद कि‍या। गोष्ठी का संचालन वीरेंद्र ‘कमर’ ने किया। प्रस्‍तुति‍ : प्रेमचंद सहजवाला

Tuesday, April 24, 2012


Brief Report on Inaugural of Anandam School Jagdish Rawtani opened a branch of Anandam Music School in New Palam Vihar, Gurgaon on 15the April 2012. Puja was performed by Pandit Bhardwaj. SDO, Electricity Board , Gurgaon was one of the special guests along with Sh. Naval Kisher Mallick, Renowned Vocalist and Sh. Bhaskar Jha, young talented Vocalist . Sh Rishi Raj Rana , Councilor of the area deputed his brother Ram Avtar Rana to inaugurate the School since he himself was busy with election activities in Delhi. All the aforementioned personalities were honored by presenting to them a SHAWL and a trophy. Pandit Mallik, Sh. Bhaskar Jha, Sh Nitish Mallick and Mrs sumitra Dutta rendered some Bhajans/Songs, which were rejoiced by all the present guests there. Some photographs for all the friends to see, please.

Wednesday, March 28, 2012

ARVIND KEJRIWAL's BOMB SHELL IN PARLIAMENT

Arvind Kejriwal's bomb shell in the Parliament

BY JAGDISH RAWTANI

Published in www. merinews.com on 28 March, 2012


ANNA HAZARE'S right hand man Arvind Kejriwal has thrown a bomb shell in the parliament which has hurt many a politicians. According to him there are 162 tainted MPs in the parliament against whom serious criminal charges are pending in the court of law.

The Congress spokesperson Abhishek Manu Singhvi has aggressively responded, "Just because Parliament may not fully assert the right to privilege does not mean you can call Parliamentarians criminals and goondas." Shard Yadav, a one time ardent supporter of the Anna movement was also seen terribly disturbed and violently angry over the comments in question.
Even BJP's accomplished leader Sushmaji also expressed anguish on the issue. So at least for now you can't say that the Anna Movement is supported by BJP/RSS. Arvind kejriwal is not a school going kid. If he has given this sparking statement in the public he must be having some substance or ample proof to prove his point. It is quite understandable to politicians also and this very understanding will not allow our intelligent netaas to take any serious action against the Anna Hasare team boy.
Having said that it is very unfortunate for the whole country to find the brazen corruption level increasing by leaps and bounds. Almost every week one big scam is reported by the ever-alert media. These billion and trillion rupee scams are not happening by chance or without active support from the black politicians clad in white robe. Kejriwal is courageously bold to say that the dangerous state of corruption is eating into our economy and making life miserable for aam aadmi.
All are aware about the root cause of corruption. All know who is responsible for common man's apathy but they have no voice and that is the reason why Anna and his party get a lot of support from the sufferering janta. The common man finds his hero in Anna or any of his team mate. Government tries its level best to puncture the sprit of these activists by leveling charges against them or adopting some other unethical tactics to pull them down. Many a time they also succeed.
It's a sad commentary that corruption is spreading like an epidemic in every department whether small or big. It has become a sort of a vicious circle. Go to any small Government Department and you find good number of employees spreading their begging bowls in front of you. Big reputed organizations are not left behind.
General V.P. Singh has jolted many of us by giving the statement in public that he was offered fourteen crores as bribe. We should by now actually have been shock proof. Long back Bofors happened. But our memory is not long lasting. To add salt to the injury is an unimaginable and disturbing increase in the quantum involved in the corruption involved scandles. An year back we heard about Rs.1,60,000 crore 2G scam and now Rs10,00,000/- coal scam is giving us shivers down our spine. Where are we heading? What does tomorrow hold for the next generation?
Kejriwal has spoken about something that we also know but never dare open our mouth fearing dangerous consequences. If Kejriwal is punished for speaking the bitter truth then all who are in the know should also be punished because if the system continues functioning in this disgusting fashion many Kajriwals will be born in the near future under compulsion. Recently, a survey revealed that personal properties of MPs have been multiplying.
Where is this money coming from? It is our hard-earned money that fills the big pockets of awfully corrupt politicians. There is still hope since all politicians are not corrupt. Even if we go by the statistics of Arvind Kejrival there are 162 parliamentarians charged with criminal cases but the rest can be considered, by some imagination, honest. These parliamentarians should come in support of an unprecedented crusade against corruption if they real want to save this country from the clutches of vultures.

Friday, March 16, 2012

Holi Milan organized by Sindhi Academy





Sindhi Academy organized colourful Holi Milan on 4th March at Delhi Hatt, INA. On the occasion Hasya Kavita Samelen was conducted and enjoyed by audience. Participants were Laxman Bhatia "Komal" Veena Shringi , Jagdish Rawtani,, Meghraj Gurnani , Dr Ravi Prakash ,Leela Mamtani, Meera Hingorani, Shalini Sagar, Harish Padnani, Vandana Daanvani, The Samelen was compered by Balu Chauthani. Another program of Stand Up Comedy was also appreciated . The artists participated were Parmaanand Pyaasi, Ramesh Rajpal, Shankar Mulwani. These two beautiful programs were followed by enthusiastic dance by one and all & of course delicious lunch. All had good fun hearty laugh and rejuvenating dance .Bhagya Mishra & Jaitely Saheb expressed sincere thanks to all who attended the function and showered greetings .