Saturday, November 12, 2011

आनंदम विचार घोष्टि- ०८-११-२०११



‘क्रोध हमारा सर्वाधिक विनाशकारी शत्रु’ –
‘आनंदम’ की नवम्बर गोष्ठी क्रोध को व्यवस्थित करने पर.
रिपोर्ट – प्रेमचंद सहजवाला
‘आनंदम संगीत व साहित्य सभा’ प्रतिमाह एक काव्य गोष्ठी के अतिरिक्त एक विचार गोष्ठी भी आयोजित करती है. दि. 8 नवंबर को नई दिल्ली के कस्तूरबा गाँधी मार्ग स्थित हिमालय हाऊस में मैक्स न्यू योर्क सभागार में अशोक मर्चंट का व्याख्यान रखा गया कि क्रोध/गुस्से को कैसे व्यवस्थित किया जाए. श्री मर्चंट ने अन्याय या सामाजिक विषमता को ही क्रोध या गुस्से का एक महत्वपूर्ण कारण बताया. उन्होंने यूनानी दार्शनिक प्लेटो का यह कथन बेहद महत्वपूर्ण बताया कि ‘कोई भी व्यक्ति सायास बुरा नहीं है.’ परंतु साथ में श्रीमद्भगवत गीता का उद्धरण दे कर यह भी स्पष्ट किया कि क्रोध हमारा सर्वाधिक विनाशकारी शत्रु है. उन्होंने मानव मन में शुक्रगुजारी तथा आत्म-संतुष्टि के अभाव को भी क्रोध का एक महत्वपूर्ण कारण बताया. उन्होंने कहा कि धार्मिक उपदेश इस कदर विकृत हो गए हैं और उन्हें स्वार्थ लिप्त धर्मोपदेशकों द्वारा इस तरह से तोडा मरोड़ा गया है कि ईश्वर ही व्यापर हो गया है और अधिकाधिक जनता पूजा अनुष्ठानों में कैद हो गए हैं. वे धर्मोपदेशक पुरुषों व महिलाओं के शिकार से हो गए हैं. समाज में कोई भी सार्थक परिवर्तन इस बात की मांग करता है प्रत्येक व्यक्ति में बचपन से ही नैतिकता का संसकर पड़े. समाज में व्यक्तियों तथा संस्थानों में नैतिकता का निर्माण कुंठा आक्रोश व प्रतिस्पर्धा को कम करने में अहम भूमिका निभाता है. यह सामजिक न्याय तथा खुशहाली लाने में सहायक सिद्ध होता है. उन्होंने कहा कि एक ज्ञान तंत्र के रूप में धर्म को अन्य ज्ञान तंत्रों यथा विज्ञानं के साथ समन्वय कर के चलना पड़ेगा.
लगभग एक घंटे के भाषण के बाद सभागार में उपस्थित श्रोता गण ने भी अपने अपने विचार प्रस्तुत किये तथा प्रश्न पूछे. सभागार में उपस्थित श्री भूपेंद्र ने प्रश्न उठाया कि क्या कुछ हद तक गुस्सा ज़रूरी नहीं है, क्योंकि कई गलत गतिविधियां समाप्त करने के लिये या अनुशासन स्थापित करने के लिये गुस्सा ज़रूरी है. श्री मर्चंट ने इस विचार पा काफी सहमत भी जताई.
श्री अशोक मर्चंट भारत के ‘द टेम्पल ऑफ अंडरस्टैंडिंग’ के महासचिव हैं तथा ‘सर्वोदय अंतर्राष्ट्रीय न्यास’ दिल्ली अध्याय के अध्यक्ष भी हैं.
गोष्ठी के अंत में ‘आनंदम’ अध्यक्ष श्री जगदीश रावतानी ने श्री मर्चंट का तथा सभी उपस्थित लोगों का धन्यवाद किया व् घोषित किया कि नवंबर माह की काव्य गोष्ठी दि. 14 नवंबर शाम को इसी सभागार में होगी.