Saturday, December 8, 2012


                                     आनंदम /आर्ट एक्सीलेंस और उर्दू अकादमी का खूबसूरत  संगम - मुशायरा/काव्य गोष्टी  रिपोर्ट: तरुण रावतानी 
आनंदम/आर्ट एक्सीलेंस और उर्दू अकादमी ने मिल कर एक मुशायरा / काव्य गोष्टी का आयोजन  5 दिसम्बर 2012 को indian habitat  center में किया जिसमे जाने माने शायरों एवं कवियों  ने शिरकत की  . उर्दू अकादमी की और से मनोनीत  पांच शायरों ने गज़ले पढ़ी जिनके नाम इस प्रकार है .  सैफ सहरी , मुन्नवर  सरहदी, जगदीश रावतानी ,  शहादत अली निजामी और दर्द देहलवी। संचालन दर्द देहलवी ने किया। दुसरे सत्र में उपस्थित सभी कवियों ने रचना पाठ किया जिनमे से कुछ नाम प्रस्तुत है। लक्ष्मी शंकर बाजपाई , ममता किरण , आदेश त्यागी, अहमद अली बर्की ,प्रोफेसर  ललन प्रसाद . ममता अग्रवाल , संजुला शर्मा, भूपेन्द्र कुमार, नागेश चन्द्र , आरती स्मित, मजाज़ अमरोही , मुतरिब सुलतान, सुषमा भंडारी आदि। इस सत्र का  संचालन जगदीश रावतानी ने किया-  इस सुंदर , यादगार और अनेकता में एकता का सन्देश देती इस शाम में पढ़े गए चंद शेर/पंक्तियाँ पाठकों के लिए : 
आदेश त्यागी : यूँ मेरी खामोशियों को दी जुबां हालत ने , ना समझ नादाँ को शायर कर दिया जज़्बात ने  अनिल वर्मा मीत : इक पहेली है, गुमां है ज़िन्दगी , ढूँढ़ते है     कंहाँ  है   ज़िन्दगी  अब्दुल हमान मंसूर : कोई ज़ख़्मी की मदद को आता नहीं , जिसको देखो पूछता है हादसा कैसे हुआ 
जगदीश रावतानी : न जाने किसने कलयुग आज के युग  को बता डाला, था क्या तब जब युधिष्टर अपनी पत्नी हार आया था अशोक कश्यप  ज़िन्दगी जब ये मुस्कुराएगी , हर झरोखे से महक आएगी  रविन्द्र शर्मा रवि : हर वक़्त टहनियों पे मचाते है शोर गुल , पीपल ने पंछियों को बहुत सर चढ़ा लिया  दर्द देहलवी : लगता है जनाज़े में तमाशाई हैं सारे , इस भीड़ में इक आँख भी नमनाक नहीं 
भूपेन्द्र कुमार : लगाओ नित नए पौधे , रखो महफूज़ पेड़ों को, कभी य़ू भी हमारा ग़मज़दा दिल चैन पाता है  अजय अक्स : अब है दुनियां में मुख़्तसर पानी , खर्च कीजिये सोच कर पानी , सारी  धरती को कर दिया सहरा , अब तू ढूंढे है चाँद पर पानी  मुन्नवर सरहदी : अपनी लैला के लिए चारों  पहर बेदार है , में जिसे कीवाना समझा था बहुत हुशियार है  सुषमा भंडारी : जब से तेरी कोख में आयी क्यू  है तू बैचैन , माँ मेरी मुझको बतलादे क्यू भीगे ये नैन 

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